प्रकाशकीय वक्तव्य

 

प्रस्तुत पुस्तक दो भागों में विभाजित है । पहले भाग मै लेख हैं और दूसरे में वार्ताएं ।

 

भाग एक में मुख्यतया आध्यात्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर श्रीमां के छोटे-छोटे लिखित वक्तव्य हैं । सन् ११३० के आरम्भ से सन् ११७० के आरम्भिक दिनों की अवधि में लिखे ये वक्तव्य उनके सार्वजनिक सन्देशों, व्यक्तिगत टिप्पणियों और शिष्यों के साथ पत्र-व्यवहार से संकलित किये गये हैं । दो-तिहाई अंग्रेजी में लिखे गये थे, शेष फ्रेंच में । कुछ वक्तव्य केवल बोल कर दिये गये थे, जिनमें से अधिकतर अंग्रेजी में हैं । कुछ ध्वन्यांकित सन्देश हैं; कुछ अन्य माताजी के बोलते समय शिष्यों ने लिख लिये थे जिन पर प्रकाशनार्थ माताजी की स्वीकृति ले ली गयी थी । उन पर यह चिह्न है । इस भाग को विषय-वस्तु को ध्यान में रखते हुए ११ भागों में सजाया गया है, हर विभाग में कई उपविभाग हैं । उपविभागों में दिनांकित वक्तव्य क्रम से हैं, अदिनांकित विषयानुसार ।

ध्यान रहे कि इनमें से अधिकतर वक्तव्य विशेष परिस्थितियों में विशेष व्यक्तियों को दिये गये थे । अत: उनमें दी गयी नसीहत या शिक्षा सब पर लागू नहीं भी हो सकती ।

 

भाग दो में बत्तीस वार्ताएं हैं जो श्रीमातृवाणी के अन्य खण्डों में कहीं भी नहीं छपी हैं । पहली छ: वार्ताएं ११५० की ध्वन्यांकित वार्ताएं हैं । इन वार्ताओं में तीन चौथाइ वार्ताएं फ्रेंच में थीं ।